Tuesday, August 6, 2013

Pani ki Bottle

ख्वाबों मे  खोया हुआ ,
कहीं उलझा हुआ था मैं,
लाल बत्ती पर रिक्शा रुका,
पर मेरी सोच हिली नहीं

मेरे दृष्टी कोण में एक बच्ची 
ने तब प्रवेश किया
कुछ बोली, मैंने कुछ सुना भी
ऐसा नहीं की देखा नहीं, देखा भी

उसने खाली हाथ से मुझे झंझोड़ा भी
मैंने सुना भी, देखा भी
पर कुछ समझा नहीं
चूँकि खोया था मैं अब भी

लाल बत्ती अब हरी थी
उसने एक नज़र और देखा
और फिर तेज कारो से बचने को
रोड पार कर उधर चली गयी

कुछ धीरे से मैं जागा
मस्तिस्क पटल ने पिछला एक पल दोहराया
एक बच्ची छोटी सी, मासूम सी
एक हाथ मे गुलाब लिये

झंझोड़ कर मुझे बोली
पानी, पानी दे दो बाउजी
प्यास लगी है,
पानी दे दो

एक पल में मैं कुछ सोच न पाया
बस थेले से बोतल निकाली
लड़की ने जाने क्या सोचा
और फिर एक बार देखा मेरी और

भागी उस यातायात में
तेज गाड़ियों  के बीच से
बोतल ली और चल दी
फिर न देखा, न फिर दिखी, बस जैसे गायब हो गयी 




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